उत्तर प्रदेश सरकार | उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम - गुणवत्ता एवं समृद्धि का प्रतीक

बीज उत्पादन

सम्पूर्ण बीज उत्पादन प्रक्रिया के दौरान बीज की भौतिक एवं अनुवांशिक शुद्धता, अंकुरण क्षमता आदि गुणों को बनाए रखने के लिए बीज की बुआई से लेकर कटाई तक अनेक सावधानियां बरतनी पड़ती है। इसके अन्तर्गत बीज उत्पादकों को मानक विधियों को अपनाना आवश्यक होता है, जिससे कि उत्पादित बीज का जमाव मानक स्तर के अनुरूप हो तथा उसकी भौतिक एवं अनुवांशिक शुद्धता मानक स्तर के अनुरूप हो। दूसरे शब्दों में बीज उत्पादन, संसाधन, भण्डारण आदि के दौरान बीजों की गुणवत्ता को प्रभावित करने वाले समस्त कारकों पर प्रभावी ढंग से नियंत्रण करके उच्च कोटि के बीजों की प्राप्ति विधि को उन्नत बीज उत्पादन कहा जाता है।

बीज उत्पादन कार्यक्रम में कृषक कैसे भाग लें? (अर्हताएं)

जो कृषक निगम के बीज उत्पादन कार्यक्रम में भाग लेने के इच्छुक है वे निगम के माध्यम से बीज उत्पादन कार्यक्रम ले सकते हैं। बीज उत्पादन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कृषकों को निम्न कार्यवाही करनी होगी :

  1. (अ) उपलब्ध क्षेत्रफल के अनुसार फसल प्रजातियों का चयन करके निगम को अपनी मांग अपने क्षेत्र के शाखा कार्यालय/क्षेत्रीय कार्यालय को समय से प्रेषित करे।
  2. (ब) एक गांव में रबी खरीफ में कम से कम 5 हे. तथा जायद में 2 हे. भूमि पर बीज उत्पादन लेने पर ही बीज प्रमाणीकरण संस्था द्वारा बीज प्रक्षेत्र का निरीक्षण किया जायेगा। अतः यदि आपका खुद का क्षेत्रफल 5 हे. से कम हो तो अपने गांव के अन्य कृषकों को प्रेरित करके 5 हे. क्षेत्र में बीज उत्पादन कार्यक्रम सुनिश्चित करायें। ऐसा न करने पर बीज प्रमाणीकरण संस्था का निरीक्षण कराने के लिए 5 हे. से कम रह जाने वाले क्षेत्रफल के निरीक्षण शुल्क की धनराशि का भुगतान खुद आपको करना पड़ेगा। बीज प्रक्षेत्र को एक साथ बोना होगा तथा फसलों की मिश्रित बुआई नहीं करनी होगी।
  3. (स) बीज उत्पादन सामान्य फसल उत्पादन की तुलना में तकनीकी रूप से कुछ कठिन होता है, इसलिए कृषकों को निगम के स्टाफ से तकनीकी जानकारी लेनी होगी। कृषकों को बताई गई विधि के अनुसार बीज, खाद, रसायनिक दवाओं आदि का समय से प्रयोग करने के साथ बीज प्रक्षेत्र में पाये गये अन्य फसलों/प्रजातियों/रोगग्रस्त पौधों को निकलवाना होगा। उक्त कार्य को तकनीकी भाषा में रोगिंग कहा जाता है। इस कार्य पर अतिरिक्त व्यय होगा। अतः आधारीय बीज की कीमत, निरीक्षण शुल्क, पंजीयन शुल्क का नकद भुगतान बीज लेते समय करने के साथ-साथ रोगिंग पर होने वाले व्यय हेतु भी मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए।
  4. (द) इच्छुक बीज उत्पादकों के पास उगाई जाने वाली फसल/प्रजाति हेतु उपयुक्त भूमि पर सिंचाई की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए तथा अन्य कृषि निवेशों पर होने वाले व्यय हेतु मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए।
  5. (य) बीज उत्पादन कार्यक्रम में भाग लेने वाले कृषकों को प्रयुक्त आधारीय बीज की बोरी, टैग, बीज की कीमत की रसीद, भण्डार रसीद एवं आर्डर फार्म सम्पूर्ण फसल सत्र तक अपने पास सुरक्षित रखने होंगे एवं बीज प्रमाणीकरण संस्था के स्टाफ निगम के स्टाफ द्वारा निरीक्षण के समय मांगने पर उन्हें दिखाना होगा अन्यथा बीज प्रक्षेत्र निरस्त हो सकता है।
  6. (र) बीज प्रक्षेत्र का वानस्पतिक, पुष्पावस्था एवं पकने की अवस्था पर निगम के प्रतिनिधि एवं बीज प्रमाणीकरण संस्था के निरीक्षकों से निरीक्षण कराने के साथ-साथ उनके द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करना होगा।
  7. (ल) बीज प्रक्षेत्र के अन्तिम निरीक्षण हो जाने एवं क्षेत्रफल के पास हो जाने पर ही फसल की कटाई कराई जायेगी। कटाई के उपरान्त फसल उत्पाद की सफाई कराकर मानक के अनुसार निर्धारित मात्रा का अंतःग्रहण कराना होगा।
  8. (व) बीज फसल की कटाई कर थ्रेसिंग का कार्य इस प्रकार किया जाये कि अन्य फसल प्रजातियों के बीज एवं खरपतवारो के बीज का मिश्रण न होने पाये।
  9. (च) बीज को भलीभॉति सुखाने के उपरान्त ही साफ बोरों में भरना चाहिये।
  10. (छ) बोरों पर फसल/प्रजाति एवं पंजीयन का अंन्तिम नम्बर अंकित करें तथा एक प्रजाति को एकबार में अन्तग्रहण पत्र के अनुसार अन्तग्रहण कराये।
  11. (ज) कृषको को उतने ही क्षेत्रफल का बीज उत्पादन कार्यक्रम आवंटित किया जायेगा जितनी भूमि स्वयं के नाम से होगी या सह खातेदारों (उसके सगे माता, पिता, पत्नी, भाई, पुत्र/पुत्री) की स्थिति में शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा।

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